देश दुनिया

गाय प्रतिदिन देगी 50 लीटर दूध, ब्राजील के गिर नस्ल के सांडों के सीमन से किया जाएगा गोवंश का कृत्रिम गर्भाधान

देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए देसी गोवंश के कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे दूध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही अधिक से अधिक बछियों का जन्म होगा। इसका सीधा लाभ पशुपालन करने वाले किसानों को मिलेगा। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा ब्राजील से उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता वाले गिर नस्ल के सांडों का सीमन बुलाया गया है।

इस संबंध में राजस्थान के पशुपालन एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने शुक्रवार 4 अप्रैल के दिन आरएलडीबी सभागार में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ब्राजील से आयातित उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता वाले गिर नस्ल के सांडों के पारम्परिक हिमकृत वीर्य डोजेज का जिलों को वितरण का शुभारंभ किया। उन्होंने जयपुर जिले को सीमन का जार भेंट किया।इस अवसर पर पशुपालन विभाग के निदेशक एवं आरएलडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आनंद सेजरा भी उपस्थित थे।

गोवंशों का किया जाएगा कृत्रिम गर्भाधान

इस अवसर पर पशुपालन मंत्री ने कहा कि राज्य के 23 जिलों के लिए ब्राजील से आयातित उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता वाले गिर नस्ल के सांडों के पारम्परिक हिमकृत सीमन डोज हमें एनडीडीबी के माध्यम से प्राप्त हुआ है। राज्य को ब्राजील के गिर गोवंश के सांडों का हिमकृत सीमन पहली बार मिला है। अभी इस सीमन का उपयोग राज्य की प्रजनन नीति के अनुसार गिर गोवंश के बाहुल्य वाले क्षेत्रों में उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाली शुद्ध गिर गोवंश की मादाओं में कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाएगा।

गाय का दूध उत्पादन होगा 50 लीटर

पशुपालन मंत्री ने कहा कि ब्राजील के गिर नस्ल के सांडों के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान करने पर राज्य में उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता वाले बछड़े और बछड़ियां पैदा होंगे। बछड़ियों में दुग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी जिससे दूध का उत्पादन अधिक होगा। अभी हमारी गिर गायों के दुध का उत्पादन प्रति दिन 15 से 20 लीटर है जबकि इस सीमन से उत्पादन बढ़कर 50 लीटर तक हो सकता है।

 

अभी यह आयातित सीमन पशुपालकों को केवल 100 रुपये में उपलब्ध कराया जाएगा। भविष्य में ब्राजील से उच्च गुणवत्ता वाले गिर गोवंश के सीमन को अधिक से अधिक मंगवाए जाने के प्रयास किए जाएंगे जिससे राज्य के पशुपालकों को इसका लाभ मिल सके।

डेयरी फार्म और पशुपालकों को मिलेगा लाभ

पशुपालन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि केवल डेयरी फार्म को ही इसका फायदा नहीं मिलना चाहिए बल्कि पशुपालकों को व्यक्तिगत रूप से भी यह डोज मिले जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो। उन्होंने कहा कि वितरित डोज का रिकार्ड संधारण उचित तरीके से किया जाए जिससे इससे होने वाले लाभ के आधार पर आगे इस सीमन की उपलब्धता राज्य के लिए सुनिश्चित की जा सके।उल्लेखनीय है कि राज्य की प्रजनन नीति के अनुसार इस सीमन का उपयोग राज्य के अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, भरतपुर, पाली, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़ जयपुर, सीकर, सहित 23 जिलों में किया जाएगा।

Abhitab Namdeo

Related Articles

Back to top button