*●मोहगांव के वानिकी महाविद्यालय में तेज हवा से गिरा शेड महीनों बाद नही लग पाया, बरसते पानी मे पढ़ने को मजबूर छात्रगण हुए लामबन्द●*
{ज़िला प्रशासन की आदेशों की अवहेलना कर रहे महाविद्यालय प्रबन्धन ने फण्ड की कमी को बताया वजह, कलेक्टर के दौरे के बाद नही सुधरा अव्यवस्थता}
*बेमेतरा:-* महात्मा गांधी वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय अंतर्गत ग्राम मोहगांव (साजा) में स्थित हार्टिकल्चर कॉलेज एवं रिसर्च सेंटर में अव्यवस्थता की समस्या लेकर स्थानीय हरिभूमि के क्षेत्रीय अंक में समाचार के प्रकाशन के बावजूद अभीतक महाविद्यालय के अस्थायी बिल्डिंग के अंदर व्यवस्था व उचित इंतजाम नही हो पाई है। आलम यह है कि कॉलेज के प्रथम वर्ष के छात्र बरसात के सीजन में बरसते पानी के बीच क्लास की पढ़ाई करने को मजबूर है। लिहाजा ऐसे माहौल में हार्टिकल्चर कॉलेज के छात्रगणों में पढ़ाई का वातावरण पूरी तरह प्रभावित हो रहा है।चूंकि वर्तमान में कॉलेज का बया बिल्डिंग निर्माणाधीन है तो अस्थायी रूप से कृषि महाविद्यालय के पुराने बिल्डिंग को पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।ज्ञात हो कि पूर्व के समय क्षेत्र पर भयंकर आँधी- तूफान आने की वजह से अस्थायी कॉलेज बिल्डिंग का टिन का एक बड़ा हिस्सा हवा की बहाव में उड़कर नीचे गिर गया था। जिसे आज महीनों गुजर जाने के बाद कॉलेज प्रबंधन के पास उसे मरम्मत कराने समय एवं जरूरत के लायक फण्ड का इंतज़ाम नही हो पाया है, जिसके कारण आज भी हार्टिकल्चर के छात्र-छात्राएं अव्यवस्थाओं के बीच पढ़ने को मजबूर है। उल्लेखनीय है कि इस कॉलेज में पखवाड़े भर पूर्व समस्या की खबर लगने पर बेमेतरा कलेक्टर- रणबीर शर्मा अपने प्रशासनिक क़ाफ़िले के साथ दौरे पर आए जहाँ उन्होंने छात्रों से बात कर व्यवस्था का स्वयं निरीक्षण व अवलोकन किया था, एवं समस्याओं पर तत्काल व्यवस्था की बात कही थी। इस सम्बंध में छात्रगणों का कहना है कि आगामी दिनों में अगर इस समस्या पर गम्भीरतापूर्वक ध्यान नही जाएगा तो हमारे द्वारा स्वयं आवेदन के माध्यम से अधिष्ठाता व अन्य अफसरों को शिकायत किया जायेगा। वही ग्रामीणों का कहना है कि कॉलेज के डीन सहित अन्य शिक्षक स्वंय ही ज़िला प्रशासन के आदेश एवं दिशानिर्देश के उलट दूर-दराज के शहरों से आते है, जो कि काफी समय के साथ खर्चीला भी है। जबकि नियमतः उनको नगर साजा अथवा आसपास में निवास करना चाहिए और जब मरम्मत की बात की जाए तो फण्ड की कमी को कारण बताना हास्यास्पद है। जबकि इस सम्बंध में महाविद्यालय प्रबन्धन व कॉलेज डीन के द्वारा फंड की कमी को वजह बताया जा रहा है। लिहाजा यह स्थिति लगभग महीनेभर से यथावत बरकरार है।