राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली की बेंच ने बाल अधिकार उल्लंघन संबंधित मामलों पर सुनवाई कर किया त्वरित निराकरण
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली की बेंच ने बाल अधिकार उल्लंघन संबंधित मामलों पर सुनवाई कर किया त्वरित निराकरण
आयोग ने 299 प्रकरणों की सुनवाई कर 251 प्रकरणों का किया त्वरित निराकरण
कवर्धा, 15 जून 2023। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली की बेच सदस्य श्रीमती श्रीमती प्रीति भारद्वाज ने आज कबीरधाम जिले के बोडला विकासखण्ड मुख्यालय के सामुदायिक भवन में बाल अधिकार उल्लंघन से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की। इस दौरान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य श्रीमती संगीता गजभिए विशेष रूप से उपस्थित थी। आज आयोग द्वारा कुल 299 प्रकरणों की सुनवाई की गई। जिसमें 251 प्रकरणों का त्वरित निराकरण किया गया। इस अवसर पर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी एवं महिला एवं बाल विकास विभाग, आदिमजाति विकास विभाग सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
आयोग द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत विभाग, समाज कल्याण, श्रम विभाग, बाल विकास सेवाएं, मिशन वात्सल्य बाल संरक्षण सेवाएं, आदिवासी विकास विभाग से संबंधित प्रकरणों की सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान विभागों के माध्यम से त्वरित निराकरण किया गया। आयोग द्वारा इसका आयोजन गांवों में चिन्हिंत असुरक्षित परिवार और अति संवेदनशील बच्चों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए तथा बाल अधिकारों के उलंघन एवं उनके हनन संबंधी मामलों, शिकायतों की जांच सुनवाई एवं निराकरण के उद्देश्य से किया गया।
इस दौरान जिला प्रशासन द्वारा हितग्राहियों को लाभान्वित करने विभिन्न विभाग द्वारा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में आरबीएसके दल, स्वास्थ्य जांच, दिव्यांगता प्रमाण पत्र, दिव्यांगता पेंशन और दिव्यांग संबंधी सुविधा तथा आयुष्मान भारत कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता खुलवाने राज्य और विभागों जैसे महिला एवं बाल विकास विभाग बाल विकास सेवाएं, मिशन वात्सल्य बाल संरक्षण सेवाएं, आदिवासी विकास विभाग, मानसिक स्वास्थ्य शिविर सहित अन्य योजना से संबंधित स्टॉल लगाए गए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सरकार की वैधानिक निकाय है। आयोग का गठन बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 के अंतर्गत मार्च 2007 में की गई है। आयोग का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों को बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 एवं संविधान मे निहित तथा अन्य अधिनियमों के तहत् बालकों को प्रदत्त अधिकार प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना है।