इस योजना से जुडे़ किसान आत्मनिर्भर बनेंगे- एसपी डॉ उमेंद सिंह
व्यक्ति, संस्था अथवा कम्पनियों के माध्यम से अधिकाधिक लाभ कमा सकते हैं। यह केवल वृक्षारोपण की योजना न होकर देश के जलवायु परिवर्तन की दिशा में भी हमारी सहभागिता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस योजना से जुडे़ किसान आत्मनिर्भर बनेंगे- एसपी डॉ उमेंद सिंह
पुलिस अधीक्षक डॉ लाल उम्मेद सिंह किसानों को इस योजना की जानकारी दी। उन्होने कहा कि इस योजना से जुड़े किसानों के चेहरे में आज आत्मविश्वास देखी जा रही है। किसानों का यह आत्मविश्वास उन्हे आगे वाले दिनों में आत्मनिर्भर बनाएगा। यह पहली बार ऐसे हो रहा है जब पेड़ों के सरंक्षण और संवर्धन के साथ आय में वृद्धि किसानों की कैसे हो सकेगी,इस विषय पर एक दिवसीय यह कार्यशाला हो रही है। उन्होने कहा कि किसान भाई इस योजना के बारे में बारिकी से प्रशिक्षण ले और इस योजना से जुड़ी कोई भी अन्य जानकारी के लिए वन विभाग मे ंसंपर्क कर प्राप्त किया जा सकता है। उन्होने कहा कि शासन योजनाएं बनाती है प्रशासन उन योजनाओं को धरातल पर क्रियान्वयन कराती है। किसानों को इस योजना से जुड़ कर काम करना होगा। इस योजना के अनेक लाभ है, जिसे आज यहा बताई जा रही है।
किसानों के लिए सुनहरा अवसर- डीएफओ श्री सिंह
डीएफओ श्री चुड़ामणि सिंह ने कहा कि इस योजना से कृषको को अब वृक्ष लगने के बाद कटाई के समय होने वाले समस्याओ से निजात मिलेगी। कृषक वन विभाग के अधिकारियो तथा पौधा प्रदाय करने वाली सस्थाओं से त्रिपक्षीय करारनामा निष्पादित करेंगे। इसके फलस्वरूप कृषको को समय पर उच्चगुणवत्ता का पौधा उपलब्ध होगा। कृषको को कटाई उपरांत उचित मूल्य शासन उपलब्ध कराएगा। कृषक पर किसी प्रकार का दबाव नही रहेगा। उन्होंने बताया कि वह जब चाहे बिक्री कर सकता है। बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त होने पर व्यापारियो को भी बेच सकते है। इससे कृषको को अधिक आय प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि 05 एकड़ तक की भूमि में टिशू कल्चर के बांस, सागौन, निलगीरी तथा सफेद चंदन एवं मिलिया डूबिया प्रजाति के लिए कृषको को 100 प्रतिशत अनुदान प्राप्त होगा। कृषको को केवल पौधो की सुरक्षा करनी है। इस प्रकार 12 वर्ष के बाद कृषक को प्रति एकड़ 30 से 35 लाख रूपए की आय संभावित है। इसके अतिरिक्त कृषक को कार्बन क्रेडिट की राशि भी प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में रोपण के लिए कृषक को 50 प्रतिशत वित्तीय अनुदान प्रदाय किया जाएगा। जीवन दायिनी सकरी नदी का उद्धार होगा। स्वच्छ जल प्रवाहित होगा। 58 गांव के लगभग डेढ़ लाख लोगो को सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकती है।
मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना एक नजर में
मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में कवर्धा जिले में अब तक 545 एकड़ जमीन इस योजना में चिन्हांकित की गई है, जिसमें सागौन 111300, निलगिरी 185500, बांस 74200, मिलिया डूबिया 762 तथा चंदन 160 के कुल 371922 पौधा रोपण किया जा रहा है जिसमें 500 हितग्राही लाभान्वित होंगे। इस योजना में मुख्यतः पांच प्रजातियों के अच्छी गुणवत्ता के पौधों का रोपण किया जाएगा। प्रजातियां जैसे कि टिशुकल्चर सागौन, टिशुकल्चर बांस, क्लोनल निलगिरी, मिलिया डूबिया, चंदन और अन्य फलदार प्रजातियों का रोपण किया जा रहा है। इसमें भूमि के शेष बचे हिस्से पर आवशयकतानुसार अन्य उद्यानिकी फसलों की खेती भी कर सकेंगे। शासन के द्वारा वृक्षों के उत्पादन का समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा और वृक्षों की कटाई एवं परिवहन, सहयोगी संस्था, निजी संस्था द्वारा करारनामा के माध्यम से किया जाएगा। अधिकतम 5 एकड़ तक रोपण व्यय का 100 प्रतिशत अनुदान के रूप में शासन द्वारा किसान के खाते में सीधे दिया जाएगा। इस योजना में विभाग द्वारा पौधे प्रदान कर तकनीकी जानकारी के साथ व्यवस्थित रूप से लगाने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा। अन्य सभी कार्य किसान को स्वयं करना होगा। राज्य, केन्द्र या निजी संस्थान यदि इस योजनांतर्गत वृक्षारोपण करते है तो अनुदान की राशि 50 प्रतिशत होगी। अनुदान तीन वर्ष तक जीवित पौधों की संख्या के आधार पर देय होगा।