काशी के ज्योतिष की सलाह मानें, आफतों से बचना है तो HOLI के 9 दिन पहले से न करें ये काम
होलाष्टक के इन दिनों में कई कामों की मनाही होती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक होलाष्टक के दिनों में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे कामों के साथ ही किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं
वाराणसी. रंगों के त्योहार होली (Holi) को पूरे देशभर में उत्साह के साथ मनाया जाता है. होली के 8 दिन पहले होलाष्टक (Holashtak 2023) शुरू होता है. इस बार होलाष्टक 8 नहीं बल्कि 9 दिनों का होगा. 27 फरवरी से इसकी शुरुआत होगी और 7 फरवरी को होलिका दहन के साथ यह खत्म होगा. एक वर्ष में एक तिथि दो बार पड़ने के कारण 27 साल बाद ऐसा हो रहा है. ऐसे में ज्योतिषी बता रहे हैं कि होलाष्टक का क्या महत्व है और इसको लेकर क्या प्रतिबंध हैं.
काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया होलाष्टक में शुभ कार्य करने से जीवन में मुश्किलें बढ़ सकती हैं और जो भी नया काम शुरू किया जाता है, उसमें सफलता भी नहीं मिलती. वजह बताते हुए महाराज ने कहा इन दिनों में सोलह संस्कार पूर्णतः वर्जित हैं. इस समय में सिर्फ जप और तप का महत्व है और ऐसा करने से जीवन में मुश्किलें कम होती हैं और शुभ, शांति और समृद्धि भी मिलती है.
होलाष्टक में क्यों वर्जित हैं शुभ कार्य?
धार्मिक कथाओं के मुताबिक हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस ने भगवान विष्णु की भक्ति में लीन अपने बेटे प्रह्लाद को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा तक मृत्यु तुल्य यातनाएं दी थीं. इन यातनाओं से प्रह्लाद की रक्षा भगवान विष्णु ने की. इन यातनाओं के दौरान हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को मारने का जिम्मा लिया. आग से न जलने का वरदान पा चुकी होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई.इस कारण होलिका दहन के आठ दिन पूर्ण को होलाष्टक कहा जाता है और इन दिनों में शुभ काम की मनाही होती है
.नोट : यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है kawardhasandesh.com. इसकी पुष्टि नहीं करता है.)