*नगर में मां महामाया मंदिर श्रद्धापूर्वक निकाले गए जवारे*
देवकर — शारदीय नवरात्रि पर्व पर नौ दिनों तक जहां चारों ओर जगत जननी मां जगदंबे जयकारों के साथ समूचा वातावरण धर्ममय बना रहा वही शनिवार को जवारे विसर्जन हुए। शारदीय नवरात्रि पर्व पर नौ दिनों तक जहां चारों ओर जगत जननी मां जगदंबे जयकारों के साथ समूचा वातावरण धर्ममय बना रहा वही शनिवार को जवारे विसर्जन हुए। इस अवसर पर जहां नगर के विभिन्ना देवी मंदिरों में एवं कलश पर रखे हुए जवारो को बड़े श्रृद्धाभाव के साथ धार्मिक वातावरण में महिलाएं सिर पर रखकर समूह में बड़ी देवी मंदिर के साथ-साथ नगर देवकर के सुरही नदी ,एवं मां संतोषी मंदिर,एवं मां शीतला का विसर्जन तालाब में हुआ , इन नौ दिनों तक व्रत का उपवास रखने वाले देवी भक्तों ने भी जवारों के दर्शन के उपरांत बड़ी देवी मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में पहुंचकर प्रसाद चढ़ाकर एवं पूजन आदि कर अपना व्रत तोड़ कर भोजन ग्रहण किया। नौ दिनों तक ऐसे अनेक भक्त रहे हैं जो सिर्फ एक गिलास दूध या फलाहार या बिना कुछ लिये हुए ही मां देवी की भक्ति में लीन रहकर व्रत रखे हुए थे। इसके अलावा कुछ ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में भक्त रहे हैं जिन्होंने अपने शरीर पर भी जवारे बो कर इन नौ दिनों तक देवी की भक्ति की है।प्रातःकाल से जवारों का चला दौर : पुरातन काल से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि नवरात्रि पर्व में जवारे जितने हरे भरे होंगे फसलें भी उतनी ही अच्छी होती हैं इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि जगत जननी माता रानी के प्रति भक्ति भाव भी दर्शाती है। जवारों की परम्परा प्राचीन काल से ही ग्रामीण क्षेत्रों में चली आ रही है शनिवार को सुबह से ही नगर के विभिन्ना स्थानों से जवारे विसर्जन का दौर प्रारंभ हो गया था और धर्म प्रेमी जन निकल रहे जवारो में उनका पूजन अर्चन कर दूध अर्पित कर रहे थे। बड़ी देवी मंदिर में भी नवमी पर्व होने के कारण सुबह से ही देवी पूजन के लिए श्रृद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी और समूचा क्षेत्र धर्ममय बना हुआ था। नवरात्रि में पूरे श्रृद्धाभाव के साथ जवारों की सेवा कर जगदंबे को खुश करते हैं और देवी मां उसी सेवा का आशीर्वाद जवारों के रूप में देती है।