*■बासीन में गर्भवती महिला को ट्रैक्टर के सहारे रेस्क्यू कर ग्रामीणों ने पहुंचाया अस्पताल, बाढ़ में तहसीलदार विनोद बंजारे की मानवीय पहल की चर्चा■*
*देवकर:-* सुरही नदी में आई भीषण बाढ़ कर बीच टापूनुमा गाँव बासीन की एक गर्भवती महिला हीना बी(27वर्ष) पति सलीम अली को देवकर तहसीलदार विनोद बंजारे, स्थानीय सरपंच एवं अन्य ग्रामीणों की मदद से बाढ़ के बीच नदी से ट्रैक्टर के सहारे रेस्क्यू कर निकटवर्ती परपोड़ी स्थित हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर के शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसमें तहसीलदार एवं ग्रामीणों की इस मानवीय पहल को लेकर आमलोगों ने खूब सराहा गया। ज्ञात हो कि गर्भवती महिला का डिलीवरी पीरियड नजदीक होने के कारण सुविधाजनक अस्पताल एवं स्वास्थ्य स्टॉफ न मिलने पर जानलेवा बन सकता था, किन्तु प्रशासन की टीम की सूझबूझ ने इंसानियत एवं दरियादिली दिखाते हुए गर्भवती महिला को सुरक्षित अस्पताल में पहुंचाने में मदद कर अहम भूमिका अदा की।
*●गर्भवती महिला की सास ने बताई आपबीती●*
जानकारी के मुताबिक बासीन की प्रभावित गर्भवती महिला हीना बी की सास हाजरा बी ने बताया कि शुक्रवार की सुबह से गाँव का संर्पक टूट चुका था,इसी दरम्यान उनकी बहू हीना को डिलीवरी नजदीक आने के कारण देर रात जोरदार दर्द उठा, लेकिन टापू में तब्दील तीनो गाँव में न तो कोई चिकित्सक या अस्पताल नही होने से गाँव की 65 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला चैती साहू को घर बुलाकर अस्थायी डिलीवरी की तैयारी करने लगे ही थे, कि इसी बीच गाँव की मितानिन-जैतून बी एवं कोटवार सुरेश मानिकपूरी ने तहसीलदार विनोद बंजारे को अवगत कराई। जिन्होंने स्वंय प्रभावित स्थल से नदी के दूसरे साइड कुछ दूर पर पहुंचकर सरपँच अजय वर्मा से बात की एवं काफी देर तक मेहनत कर अपनी सूझबूझ से उनकी बहू जो ट्रैक्टर के माध्यम से नदी के बाहर लाकर अस्पताल में डिलीवरी हेतु पहुंचाने में मदद की। इस मानवीय पहल में तहसीलदार व सरपँच, पटवारी-विष्णु वर्मा, मेघराज वर्मा के साथ बासीन एवं बुधवारा गाँव ठाकुर राम वर्मा, जनार्दन वर्मा, मोहन पटेल, बलराम यादव, उमेश पटेल सहित दर्जनों ग्रामीणों ने गर्भवती महिला की जान बचाने में योगदान देते दिखाई दिए।
*बरसात के सीजन में टापू बन जाने से तीन गाँव के ग्रामीण प्रभावित*
दरअसल सुरही नदी के बाढ़ में देवकर तहसील क्षेत्र के ग्राम बासीन, बुधवारा, कोहकाबोड़ एवं डीहपारा बस्ती चारो ओर से पानी से घिरा होने के कारण विगत शुक्रवार से पूरी तरह टापू में तब्दील हो जाता है, जो चारो ओर पर्याप्त ऊंचाई एवं जरूरतनुमा पुल के अभाव में समीपवर्ती साजा, मोहगांव और देऊरगाँव की ओर से सुरही नदी से एवं देवकर व परपोड़ी की ओर सुरही की सहायक उफनते नाले से घिर जाता है, जहां पर बरसात में हर साल दो-चार दिन के लिए तीनों गाँव का संर्पक अन्य इलाकों से कट जाता है,जिसके कारण स्वास्थ्य व रसद से लेकर अन्य जरूरी कार्यो के लिए तीनो गांवो के ग्रामीणों को आपस मे निर्भर रहना पड़ता है। बरसात में हरसाल तीनो गाँव को मिलाकर तकरीबन 5000 ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।बताया जा रहा है कि प्रभावित इलाके के दो हिस्सों में पुल निर्माण के लिए भेंट-मुलाकात वार्ता के बीच घोषणा की गई थी, किन्तु अभीतक कोई कार्य धरातल पर शुरू नही हो पाया है।जिसका नतीजे के रूप में यह स्थिति प्रकाश में आ रही है। ताज़ा मामला शुक्रवार की रात बासीन की एक गर्भवती महिला को अगले दिन बहते पानी से ट्रेक्टर के माध्यम से ग्रामीणो द्वाराय रेस्क्यू कर उपचार के लिए रवाना किया गया।
*इस सम्बंध में हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर परपोड़ी की चिकित्सक गोदावरी साहू में बताया कि महिला को समय पर डिलीवरी के लिए अस्पताल में होना जरूरी है, स्थिति सामान्य न रही तो डिलीवरी के लिए रिफर करना पड़ सकता है, हालाँकि उन्होंने महिला को खतरे से बाहर बताया।*
*देवकर तहसीलदार विनोद बंजारे ने बताया कि क्षेत्र में उनकी टीम द्वारा बाढ़ का जायजा ले रहे थे, इसी बीच कोटवार से जानकारी मिलने पर स्वंय पहुँचे एवं ग्रामीणों की मदद लेकर बासीन के उस टापूनुमा इलाके से महिला को बाहर रेस्क्यू कर अस्पताल भेजवाने में मदद की गयी। बाढ़ से प्रभावित लोगों की जान बचाना प्रशासन की प्राथमिकता एवं कर्त्तव्य है।*
*ग्राम पंचायत बुधवारा के सरपँच अजय वर्मा ने कहा कि ग्रामवासियों के लिए बरसात का सीजन कष्टदायक होता है हरसाल चारो तरफ से तीन गांव सहित एक बस्ती घिरकर डूब जाती है और सारे आवागमन संर्पक टूट जाते है।जिसके बाद जरूरी सामानों एवं कार्यो के लिये नदी के जलस्तर कम होने अथवा पुल के खुलने का इंतज़ार करते है।*