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18 की उम्र में छोड़ी पढ़ाई, 27 की उम्र में खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी, जबर्दस्त है रितेश की कहानी

नई दिल्ली. कभी दिल्ली की सड़कों पर बेचा करता था सिम कार्ड, आज दुनिया के सबसे यंग बिलेनियर की लिस्ट में शामिल है नाम. हम बात कर रहे हैं ओयो रूम्स (OYO Rooms) के फाउंडर रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) की. कहते हैं न कि अगर किसी चीज को पूरे दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है. कुछ ऐसा ही रितेश अग्रवाल के साथ हुआ. आज दुनिया के 80 देशों के 800 शहरों में इनके कारोबार का विस्तार हैं. वह हजारों करोड़ की कंपनी के मालिक बन चुके हैं 

2013 में शुरू किया रितेश का स्टार्टअप OYO रूम्स महज 8 साल में 75 हजार करोड़ की कंपनी बन चुका है. ये 80 देशों के 800 शहरों तक फैल चुका है. सस्ते में स्टैंडर्ड रूम्स और कपल फ्रेंडली होने की वजह से OYO रूम्स अक्सर चर्चा में रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके सीईओ रितेश अग्रवाल ने ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं किया है. 18 साल के रितेश अग्रवाल ने जब बिजनेस शुरू करने का सोचा तब उनकी जेब में मात्र 30 रुपये थे.

बीच में ही छोड़ दी पढ़ाई
रितेश अग्रवाल का जन्म 16 नवंबर 1993 को उड़ीसा एक एक छोटे से शहर बिसम कटक में हुआ था. रितेश की शुरुआती पढ़ाई अपने ही जिले में एक स्कूल से हुई और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली चले गए. दिल्ली में रितेश ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस अकादमी में एडमिशन लिया लेकिन उनके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था और उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. स्कूली दिनों से ही एंटरप्रेन्योर बनना चाहते थे. घरवालों ने IIT एंट्रेंस की तैयारी के लिए कोटा भेजा, लेकिन रितेश का मन वहां नहीं लगता था.

घूमने फिरने के शौक ने दिया बिजनेस आइडिया
रितेश को घूमने फिरने का काफी शौक है और यही शौक उन्हें यूनीक बिजनेस आइडिया दे गया. दरअसल, यह बात 2009 के आस पास की है जब उन्हें पहाड़ों की ओर घूमने के लिए जाने का मौका मिला. घूमने के दौरान उन्होंने महसूस किया कि रूम का अरेजमेंट करने में काफी परेशानी होती है. कभी ज्यादा पैसे देकर खराब रूम मिलता है तो कभी कम पैसे देकर भी अच्छा रूम मिल जाता है

2013 में रखी OYO रूम्स की नींव
बस यहीं से उनके दिमाग में एक अनूठे बिजनेस आइडिया ने जन्म लिया और उन्होंने ओयो रूम्स के रूप में एक सक्सेसफुल कंपनी खड़ी कर दी. रितेश ने ओयो रूम्स की शुरुआत करने से पहले 2012 में ओरेवल स्टेस नाम की एक ऑनलाइन रूम बुकिंग कंपनी को शुरू किया था. रितेश का यह आइडिया इतना यूनीक था कि उससे इंप्रेस होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरेवल में इनवेस्ट किया और को फाउंडर बन गए. फिर 2013 में रितेश ने इस कंपनी को ओयो रूम्स में बदल दिया 

 

 

 

 

 

Sunil Namdeo

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