बिहार में आज से कास्ट सर्वे, सिर्फ जातियां होंगी सूचीबद्ध…उप-जातियां नहीं, CM नीतीश ने किया स्पष्ट
पटना: बिहार में जाति सर्वेक्षण (Caste Survey in Bihar) शुरू होने से एक दिन पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने शुक्रवार को यह स्पष्ट कर दिया कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति (Socio-Economic Status) के साथ-साथ केवल जाति सूचीबद्ध की जाएगी, उप-जाति नहीं. उन्होंने कहा कि कास्ट सर्वे करने वालों को उचित प्रशिक्षण दिया गया है. समाधान यात्रा पर निकले बिहार के मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘जैसा कि हम एक त्रुटि मुक्त जाति जनगणना चाहते हैं, उन सभी को उचित प्रशिक्षण दिया गया है, जो गणना प्रक्रिया शुरू करेंगे. उदाहरण के लिए, यदि कोई जाति के स्थान पर अपनी उप-जाति का उल्लेख करता है, तो इसे क्रॉस-चेक किया जाना चाहिए और सही किया जाना चाहिए. इसलिए हमें सर्वे करने वालों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता थी.’
सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण में प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति का विधिवत उल्लेख किया जाएगा. नीतीश कुमान ने कहा, ‘हम एक आकलन प्राप्त करने के लिए लोगों की आर्थिक स्थिति पूछेंगे (बाद में उनके बारे में क्या करने की आवश्यकता है). हमें राज्य के अंदर और बाहर रहने वाले परिवार के सदस्यों की संख्या भी पता चलेगी. सर्वेक्षणकर्ता राज्य के बाहर रहने वाले लोगों से भी बात करेंगे.’ एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, ‘जातिगत सर्वेक्षण जिला और पंचायत स्तर से एक साथ शुरू होगा. प्रत्येक घर को एक गणना संख्या दी जाएगी और हम एक घर में रहने वाले लोगों की सही संख्या के साथ उनकी जाति का विवरण प्राप्त करेंगे और वे जीवन यापन के लिए क्या करते हैं, यह भी जानेंगे. लोगों को प्रक्रिया के दौरान कोई कागजात प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी.एक सरकारी आदेश के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट को शिक्षकों, आंगनवाड़ी, जीविका या मनरेगा श्रमिकों में से सर्वेक्षकर्ता चुनने के लिए अधिकार प्रदान किए गए हैं. हालांकि, अपनी संवेदनशील प्रकृति के कारण प्रक्रिया गोपनीयता बनाए रखेगी. एक मोबाइल ऐप पूरे डेटा को संकलित करेगा और पूरी जाति जनगणना प्रक्रिया दो महीने में पूरी की जाएगी. बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के लिए जाने का फैसला किया था, क्योंकि भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल इस मामले पर एकमत थे, भले ही केंद्र ने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की मांग को ठुकरा दिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना से समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा और इस कवायद का उद्देश्य वंचित लोगों के लिए विकास कार्य करने का है जातिगत सर्वेक्षण के लिए 204 जातियों को चिन्हित किया गया है
जातिगत गणना में 204 जातियों को चिन्हित किया गया है; जिनमें 113 अति पिछड़ी जाति, 30 पिछड़ी जाति, 32 अनुसूचित जाति और 32 अनुसूचित जन जाति के साथ-साथ सामान्य वर्ग की 7 जातियों को शामिल किया गया है. इस कार्य में सभी जिलों के DM को प्रधान गणना पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों के वार्ड को इकाई के रूप में रखा गया. वार्ड की संख्या 700 से कम है तो इसे एक इकाई माना जाएगा. अगर जनसंख्या 700 से ज्यादा है तो दूसरी इकाई माना जाएगा. यही प्रक्रिया नगर क्षेत्र में भी अपनाई जाएगी
प्रत्येक मकान का नंबरीकरण होगा, वार्ड का नजरी नक्शा बनेगा
जातिगत सर्वेक्षण के पहले चरण में मकानों का नंबरीकरण किया जाएगा. हर मकान पर मकान संख्या अंकित किया जाएगा. इस नंबर का उपयोग आगे होल्डिंग नंबर के रूप में होगा. पूरे वार्ड का नजरी नक्शा बनाकर जमा किया जाएगा. बता दें कि नजर से देखे गए निर्माण और जगह को नजरी नक्शा कहते हैं. इसे गणना करने वाले अधिकारी और कर्मचारी खुद हाथ से बनाकर देंगे. इस नक्शे में वार्ड की हर जानकारी मौजूद होगी. नक्शे में नदी, तालाब, पहाड़, पठार, स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक भवन, पोस्ट ऑफिस सबकी जानकारी देनी है. व्यक्ति का मकान कच्चा है या पक्का यह भी जानकारी देनी है. हर घर में यह सुनिश्चित करना है कि परिवार रहता है या नहीं.