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*मां भद्रकाली मंदिर प्रांगण में प्रभु श्री राम महा आरती आयोजित, महाप्रसाद का वितरण*

*(रामजन्मोत्सव समिति के तत्वावधान में प्रभु श्री राम की महा आरती आयोजित)*

 

बेमेतरा:-  रामनवमी के पावन अवसर पर मां भद्रकाली मंदिर प्रांगण में विधि विधान प्रभु श्री राम के प्रतिमा की स्थापना की गई। इस अवसर पर रामजन्मोत्सव समिति के तत्वावधान में प्रभु श्री राम की महाआरती उतारी गई। आचार्य कमलेश तिवारी के मार्गदर्शन में महाआरती हुई। इस दौरान समिति के सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में राम भक्त शामिल हुए। शाम करीब 7 बजे प्रभु श्री राम की महाआरती हुई। इस दौरान भगवान श्री राम के जयकारे से माहौल राममय हो गया। आरती गान से मंदिर में भक्ति का उल्लास छाया रहा। मंत्रोच्चार पश्चात महाआरती हुई। इसके बाद भक्तों को महाप्रसाद का वितरण किया गया। आरती में बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा, किसान नेता योगेश तिवारी, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष विजय सिन्हा, विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष आदित्य राजपूत समेत अन्य जनप्रतिनिधि व नागरिक शामिल हुए। अवसर पर विधायक ने कहा कि प्रभु श्री राम का जीवन हमे भाईचारा की शिक्षा देता है, एक ओर जहां लक्ष्मण ने 14 साल भाई राम के साथ वनवास किया। वहीं दूसरे भाई कैकेयी के पुत्र श्री भरत ने राजगद्दी के अवसर को ठुकरा दिया। रामायण का प्रत्येक चरित्र भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, हनुमान, सुमित्रा सभी निःस्वार्थ भाव से त्याग, समर्पण बलिदान एवं अनन्य भक्ति की शिक्षा देते हैं। रामायण का प्रत्येक पात्र हमे बेहतर जीवन जीने का मार्ग बताता है। प्रभु श्री राम के जीवन से सबसे बड़ी सीख, बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत है। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों ना हो लेकिन अच्छी नियत एवं गुणों के कारण सच्चाई की ही जीत होती है।

 

*गुणों और कर्मों के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए प्रभु श्री राम*

 

किसान नेता योगेश तिवारी ने कहा कि आज भी बड़े-बुजुर्गों के बीच यदि संस्कृति और सदाचार की बात होती है, तो भगवान राम का ही नाम लिया जाता है । भगवान राम गुणों के धनी हैं। व्यक्ति अपने गुणों और कर्मों से ही पहचान बनाता है। भगवान राम भी अपने स्वभाव, गुणों और कर्मों के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। भगवान राम श्री हरि विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्होंने राजपाट छोड़ 14 साल वनवास में बिताएं। फिर भी एक श्रेष्ठ राजा कहलाते हैं क्योंकि उन्होंने सत्य, दया, करुणा, धर्म और मर्यादा के मार्ग पर चलते हुए राज किया।

GAUTAM BEMTRA

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