*बेरला आरईएस विभाग का नाम ही गुमनाम, स्कूलों के बिल्डिंग निर्माण व जीर्णोद्धार का जिम्मा उठाने वाले विभाग का भवन ही जर्जर कार्यालय में संचालित से जमकर फजीहत*
बेरला:- ग्रामीण यांत्रिक सेवा संभाग बेमेतरा सम्बद्ध बेरला का आरईएस विभागीय ऑफिस का सालों से नाम गुमनाम व जर्जर भवन से संचालित हो रहा है। पुराने जनपद पंचायत बेरला कार्यालय में आरईएस विभाग सालों से संचालित हो रहे है लेकिन अब तक विभाग के नाम तक नहीं लिखा है। जो अपने आप में सुर्खियों पर है। वही सम्बंधित आला अधिकारी इस ओर ध्यान तक नहीं दे रहे या फिर इन्हें भी पता नहीं कि आरईएस विभाग का नाम चस्पा व लिखा है कि नहीं ये भूल या मनमानी है। जो आज भी पुराने जनपद पंचायत कार्यलय बेरला नाम से आरईएस विभाग संचालित हो रहे है। वही आरईएस कार्यालय की जर्जर होने से आये दिनों दुर्घटनाओं का आमंत्रण दे रहे है। बता दें कि आरईएस विभाग द्वारा पूरे क्षेत्र में निर्माण सम्बन्धित कार्य किया जाता है। वही उन्ही के सब डिवीजन कार्यालय का कामचलाऊ एवं खस्ताहाल अवस्था में ही निरन्तर भवन का उपयोग होने से विभाग की जमकर फजीहत करा रहा है। जबकि देखा जाए तो इस ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा विगत वर्ष अरबों रुपये के विकास कार्य किये गए है जो अभी वर्तमान में भी इसके कार्य अधूरे कार्य निर्माणाधीन अवस्था में है जबकि इनके बेरला डिवीजन के अधिकारी अपने लिए नए विभागीय कार्यालय की मांग पूरा नही करा पा रहे है जिसके कारण बेरला के जनपद पंचायत कार्यालय समीप ही जर्जर एवं खस्ता हालत में ही ऑफिस के कर्मचारी-अधिकारी काम करने को मज़बूर है। बताया जा रहा है कि यह भवन काफी पुराना है जिससे इस बिल्डिंग में काफी जगहों पर दरारे नज़र आ रही है वही छज्जे से बरसात में सीपेज आना भी आम बात है जो बाद में पूरा दीवाल को भी चपेट में ले लेता है, किंतु समस्या के निपटान के लिए विभाग के जिम्मेदार अफसरों हर साल कामचलाऊ मरम्मत कराकर अपनी औपचारिकता निभा रहे है जिससे इस जर्जर पुराने बिल्डिंग पर कभी भी हादसा होने की आशंका बनी हुई है, जिसको लेकर चिंतित ऑफिस के कर्मचारियों काफी भयभीत रहते है। जिस पर ज़िला प्रशासन को तत्काल संज्ञान में लेने की जरूरत है। बेरला क्षेत्र के आमलोगों का कहना है कि जिस विभाग द्वारा ज़िलेभर में स्कुलो की मरम्मत, जीर्णोद्धार एवं अतिरिक भवन निर्माण का कार्य कराया जाता है वही उसी के आधिकारिक भवन का हाल बेहाल है, लिहाजा इसे दिया तले अंधेरा की संज्ञा देकर क्षेत्र में चर्चे का विषय बना हुआ है जिसे लोग इसे प्रशासनिक सिस्टम की बड़ी खामी बताकर सवाल भी उठा रहे है।